प्रयागराज  
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस प्री परीक्षा 2020 के संशोधित परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख़ लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता की ओर से समय मांगे जाने पर दिया है।महेश सिंह व सात अन्य की याचिका में आरोप है कि लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश ने संशोधित परिणाम में पूर्व के चयनित 1015 अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया और इसका कोई कारण भी नहीं बताया। न ही अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिया गया। 

याचियों के अधिवक्ता अतुल कुमार साही का कहना था कि याची पीसीएस प्री परीक्षा 2020 में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पद के लिए चयनित हुए थे। कमीशन ने 24 नवंबर 2020 को प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया। नई चयन सूची में सिर्फ सीडीपीओ पर चयनित 1575 अभ्यर्थियों के नाम थे। लेकिन इस संशोधित सूची में पूर्व में चयनित याचियों सहित सभी 1015 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। आयोग ने सिर्फ रोल नंबर जारी किए हैं। कटेगरी और प्राप्तांक का कोई ब्योरा नहीं दिया है। 

इससे संशोधित परिणाम की पारदर्शिता संदेहास्पद है। अधिवक्ता का यह भी कहना था कि याचियों को चयन सूची से बाहर करने से पूर्व उनका पक्ष नहीं सुना गया और न ही सुनवाई का कोई मौका दिया। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से विरुद्ध है।कोर्ट ने इस मामले में लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा था। आयोग के अधिवक्ता ने समय की मांग की जिस पर कोर्ट ने प्रकरण 22 जनवरी को सुबह दस बजे सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

Source : Agency